अभीर और रूही सो जाते है। मंजिरी उन्हे देखकर हसने लगती है और उनके पास जाती है। सब अभीर और रूही को ऐसे देखकर कहते है कि कान्हा जी के जन्म दिन कि सुबह से तयारी कर रहे थे। जब वक्त आया जन्मदिन का तो सो गये। अक्षरा मिठाई लेने जाती है तो कुछ औरते अक्षरा को मिठाई लेने से रोकती हैं। मनीष और कायरव उन औरतों की तरफ हैरानी से देखते है। अभिमन्यु आपने उपर गुस्सा करता है कि मैने अक्षरा को पिछली बाते कैसे बोल दी ये सोचकर वो बहुत परेशान होता है। शेफाली वहां आकर अभिमन्यु से इस बारे मे बात करती है। शेफाली अभिमन्यु से कहती है कि एक बार अक्षरा से बात कर लो । औरते अक्षरा को कोई भी पूजा का काम नही करने नही देती । ये सब अभिमन्यु देख लेता है। 12 बजे सब पूजा के लिए आते है। मनीष सबको कान्हा जी कि जन्मदिन कि बधाई देता है।
सुवर्णा अक्षरा से कहती है कि कान्हा जी कि झाकी खोलने जाओ । तभी कुछ औरते अक्षरा को रोकती है। मनीष और अभिमन्यु उनसे पुछते है कि आप ये सब क्यो कर रही है ? औरतें कहती है कि अक्षरा विधवा है विधवा का पूजा मे शामिल होना अशुभ है। अक्षरा कन्हाजी कि पूजा नही करेगी। पूरा परिवार उन औरतों कि बातो का विरोध करता है। अक्षरा उनसे कहती है कि बाते हमारे वेद और पुराणों मे लिखी है तो मुझे बता देजिए । औरतें फिर भी अपनी हरकतों से बाज नही आती । अक्षरा उन औरतों से कहती है कि आप सब पाप कर रही है मै नही । क्या समाज के नियम सिर्फ औरते के लिए ही बने है मर्द के लिए क्यो नही क्यो ? कि आप सब भी जानती है कि मर्दो के लिए कोई नियम नही है। अपने जीवन साथी को खोने के बाद कोई भी मर्द पर इल्जाम नही लगाता पर उनके लिए नये रिश्ते जरूर लेकर जाते है। पर ये सब औरत के साथ हो तो उन्हे अपशकुन कहा जाता है।लेकिन मै आपके सामने सर उठाकर जियुंगी | मैने कान्हा जी के पुजा मे विघ्न नही डाला । आपने विघ्न डाला है। मै अपनी पूजा मुहर्त पर करूंगी पर कही और जाकर तभी शंक बजता है । ये सुनकर अभीर और रूही नींद से उठ जाते है।
अक्षरा जाने लगती है तो रुही और अभीर उसे रोकते है। पुरा परिवार अक्षरा का साथ देता है। सुवर्णा उन औरतों से कहती है कि झाकी खुलेगी तो मेरी बेटी अक्षरा से ही । अभीर और रूही औरतों से कहते है कि आप सब गंदे हो। अक्षरा वहां से जाने कि बात करती है तो पूरा परिवार अक्षरा के साथ जाने कि बात करता है। तो एक आदमी कहता है कि हमने आपको जाने के लिए नही कहां और इन्हे भी नही ये पूजा मे शामिल हो सकती है पर दूर से । मनीष उनसे कहता है कि हमे permission देने वाले आप होते कोण है ? अक्षरा सब से कहती है कि आप सब यहां रुकिए । मनीष अक्षरा से कहता है कि जहां मेरी बेटी का सम्मान ना हो वहां मेरा परिवार नही रुक सकता।
औरतें झाकी खोलने कि कोशिश करती है। पर उनसे गाठ ही नही खुलती । अभीर अक्षरा को झाकी के पास लेकर जाता है। और अक्षरा से कहता है कि मम्मा आप कान्हा जी कि सच्ची भक्त होना प्लीन कन्हा जी के दर्शन सब को करवा दो । अक्षरा झाकी खोलती है। सब कान्हा जी के दर्शन करते है | अभीर उन औरतों से कहता है कि मेरी मम्मा को कान्हा जी बुरा मानते तो ये गाठ जल्दी नही खुलती कन्हा जी भी चाहते थे कि मम्मा के हाथ से ही झाकी खुले। अभिमन्यु उन औरतों से कहता है कि हमारे धर्म मे है कि किसी के बुरे वक्त मे उसका मजाक नही उडाना चाहिए । अक्षरा अभिमन्यु कि ओर देखती है तो अभिमन्यु पिछे हो जाता है। अक्षरा कान्हा जी कि आरती करती है। सब अक्षरा के लिए पार्थना करते है।
